पैदल आदमी कविता रघुवीर सहाय। तार सप्तक के कवि। raghuveer sahay prgtiwad

पैदल आदमी रघवीर सहाय Raghuveer shaay     जब सीमा के इस पार पड़ी थी लाशें  तब सीमा के उस पार पड़ी थीं लाशें  सिकुड़ी ठिठरी नंगी अनजानी लाशें  वे उधर से इधर आ करके मरते थे  या इधर से उधर जा करके मरते थे  यह बहस राजधानी में हम करते थे  हम क्या रुख लेंगें … Read more