हिंदी नाटक साहित्य Hindi natak sahitya notes for students in hindi in detail.
हिंदी नाटक साहित्य की विकास यात्रा
- भारत में ईसा से लगभग 400 वर्ष नाट्य साहित्य निर्माण का प्रारंभ हुआ , उसके बाद संस्कृत नाटकों की एक सुदृढ़ और समृद्ध परंपरा चली।
- भास , कालिदास , भवभूति , अवघोष , विशाख ने कालजई नाट्य रचनाएं प्रदान की।
- भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र लिखा जो संपूर्ण विश्व में नाट्य कला के शास्त्रीय विवेचन को लेकर लिखा गया।
- भवभूति के उत्तररामचरित और मालती माधव को अच्छे प्रसिद्धि मिली।
- 10 वीं शताब्दी में नाट्यशास्त्र की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए धनंजय ने दशरूपक लिखा।
- 11 वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी के अंत तक भारतीय नाट्य साहित्य की यात्रा में 1000 वर्ष का अंतराल है।
अधुनिक काल में नाटकों के अभाव का कारण
- आधुनिक काल में भारतेंदु युग से पहले वृहत नाटक रचनाओं का अभाव सा रहा।
- जयशंकर प्रसाद के अनुसार – ” मध्यकालीन भारत में यह जिस आतंक और अस्थिरता का साम्राज्य था। उसने यहां की सर्वसाधारण प्राचीन रंगशालाओं को तोड़ – फोड़ दिया। मूर्तिवाद के विरुद्ध कई युद्ध भी हुए।
- शुक्ल ने उपन्यास की और ध्यान से नाट्य लेखन में कमी माना।
- श्यामसुंदर दास , गुलाब राय मुसलमानों द्वारा प्रोत्साहन ना मिलने के कारण नाटक साहित्य नहीं लिखा जा सका।
पहला नाटक कौन सा है
- डॉ दशरथ ओझा संदेश रासक को पहला नाटक मानते हैं , किंतु यह रासो पद्धति पर आधारित है।
- रामचंद्र शुक्ल ने आनंद रघुनंदन को हिंदी का पहला मौलिक नाटक माना। किंतु इसमें राम के राज्याभिषेक के अवसर पर अप्सराएं अंग्रेजी व अरबी गीत गाती है।
- भारतेंदु ने नहुष को पहला हिंदी नाटक माना है। यह ब्रज भाषा में लिखा गया है।
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