पैदल आदमी कविता रघुवीर सहाय। तार सप्तक के कवि। raghuveer sahay prgtiwad

पैदल आदमी रघवीर सहाय Raghuveer shaay     जब सीमा के इस पार पड़ी थी लाशें  तब सीमा के उस पार पड़ी थीं लाशें  सिकुड़ी ठिठरी नंगी अनजानी लाशें  वे उधर से इधर आ करके मरते थे  या इधर से उधर जा करके मरते थे  यह बहस राजधानी में हम करते थे  हम क्या रुख लेंगें … Read more

गीत फरोश भवानी प्रसाद मिश्र।geet farosh bhwani prsad mishr | जी हाँ हुज़ूर में गीत बेचता हूँ

गीत फरोश भवानी प्रसाद मिश्र।geet farosh bhwani prsad mishr गीत फरोश (geet farosh) (भवानीप्रसाद मिश्र)     जी हाँ हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ, मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ, मैं किसिम-किसिम के गीत बेचता हूँ !   जी, माल देखिए, दाम बताऊँगा, बेकाम नहीं है, काम बताऊँगा, कुछ गीत लिखे हैं मस्ती में मैंने, … Read more

प्रगतिवाद प्रगतिशील काव्य की प्रवृतियां। prayogvad pragatishil | राष्ट्रीय आंदोलन

प्रगतिवाद के विकास क्रम पर चर्चा करते हुए प्रगतिवादी साहित्य की प्रवृतियों का उल्लेख कीजिए। प्रगतिवाद प्रगतिशील काव्य की प्रवृतियां   प्रगतिशील साहित्य का संबंध हमारे राष्ट्रीय आंदोलन से बहुत गहरा है। आजादी का आंदोलन आधुनिक साहित्य की अब तक की सभी प्रमुख प्रवृतियों को प्रेरित और प्रभावित करता रहा है। प्रगतिवादी साहित्य को हम … Read more